Gulab Ka Guldasta | गुलाब का गुलदस्ता | Horror Story in Hindi | Gulab Ki Kahani
Gulab Ka Guldasta | गुलाब का गुलदस्ता | Horror Story in Hindi. In a quaint village, an ancient mansion stood abandoned for years, shrouded in mystery and untouched by time. When a trader named Ramesh, accompanied by his wife Savita, decided to purchase and restore the mansion, they were captivated by its enchanting rose garden,…
Gulab Ka Guldasta | गुलाब का गुलदस्ता | Horror Story in Hindi. In a quaint village, an ancient mansion stood abandoned for years, shrouded in mystery and untouched by time.
When a trader named Ramesh, accompanied by his wife Savita, decided to purchase and restore the mansion, they were captivated by its enchanting rose garden, where roses bloomed year-round.
Ramesh, who had a particular fondness for roses, adorned their home with fresh bouquets daily, a habit that brought joy to Savita. However, their happiness soon turned into fear as the roses began to wither unnaturally fast, and strange occurrences haunted the mansion. As they delved deeper, they uncovered a chilling secret tied to the roses—a secret that would change their lives forever.
Gulab Ka Guldasta | गुलाब का गुलदस्ता Hindi Story
गांव में एक पूरानी हवेली थी जो वर्षों से वीरान पड़ी थी । कोई नहीं जानता था कि आखिर क्यों यह हवेली कभी बसी नहीं। एक दिन, गांव के बाहर से आए एक व्यापारी ने हवेली को खरीदने का फैसला किया। उसका नाम रमेश था। रमेश ने हवेली को नए सिरे से सजाने की योजना बनाई और उसमें अपनी पत्नी सविता के साथ रहने लगा।
हवेली की खूबसूरती में एक अद्भुत बाग था, जिसमें हर मौसम में गुलाब के फूल खिलते थे। रमेश को गुलाब के फूल बहुत पसंद थे, और वह अक्सर अपने कमरे में गुलाब का गुलदस्ता सजाया करता था। सविता भी रमेश की इस आदत से खुश रहती थी और हर रोज बाग से ताजे गुलाब तोड़कर गुलदस्ता बनाती थी।
लेकिन एक दिन, सविता ने कुछ अजीब महसूस किया। उसने देखा कि गुलाब के फूल कुछ ज्यादा ही जल्दी मुरझा रहे थे। रमेश को भी इस बात का एहसास हुआ, लेकिन उसने इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया। कुछ ही दिनों बाद, हवेली में अजीब घटनाएँ घटने लगीं। रात के समय दरवाजे अपने आप खुलते-बंद होते, फर्नीचर खुद-ब-खुद खिसकने लगता और सबसे अजीब बात, गुलाब का गुलदस्ता जो सविता सजाती थी, रात होते ही सूख जाता।
Gulab Ka Guldasta Kahani ka Climax
रमेश और सविता दोनों इस बारे में चिंतित थे, लेकिन उन्हें यह समझ नहीं आ रहा था कि आखिर क्या हो रहा है। एक रात, जब दोनों सो रहे थे, तभी सविता को अपने कमरे में किसी की धीमी-धीमी आवाज़ सुनाई दी। उसने रमेश को जगाया, लेकिन रमेश ने उसे खयाल समझ कर फिर से सो जाने को कहा। परंतु आवाज़ें बढ़ती ही गईं और अब ऐसा लगा जैसे कोई बहुत नज़दीक से फुसफुसा रहा हो।
डर से कांपते हुए सविता ने रमेश को फिर से जगाया और दोनों ने मिलकर उस आवाज़ का पीछा किया। आवाज़ उन्हें हवेली के पुराने कमरे तक ले गई, जो अब तक बंद पड़ा था। रमेश ने हिम्मत जुटाकर दरवाजा खोला। अंदर एक धुंधली सी रोशनी फैली हुई थी और दीवारों पर पुरानी पेंटिंग्स लटकी हुई थीं। लेकिन सबसे डरावनी चीज़ वहां मौजूद गुलाब का एक विशालकाय गुलदस्ता था, जिसमें से खून की बूंदें टपक रही थीं।
रमेश और सविता की प्रतिक्रिया
रमेश और सविता सन्न रह गए। उसी समय, एक बूढ़ी औरत की परछाई उनके सामने उभर आई। उसके चेहरे पर गहरी झुर्रियां थीं और उसकी आँखों में गहरी नफरत थी। उसने कर्कश आवाज़ में कहा, “तुम्हारी यह हवेली कभी शांत नहीं रहेगी, क्योंकि गुलाबों का यह गुनाह कभी माफ नहीं होगा।”
उन्होंने ने डरते हुए पूछा, “आप कौन हैं और क्या चाहती हैं?” वह परछाई कहने लगी, “यह हवेली कभी एक खुशहाल परिवार की थी, और गुलाबों का यह बाग मेरी जिंदगी की निशानी थी। लेकिन एक रात, इसी हवेली में मेरा कत्ल कर दिया गया और मेरी लाश को इसी बाग में दफनाया गया। तब से यह गुलाब मेरे खून से सींचे गए हैं। जो कोई भी इन गुलाबों का इस्तेमाल करेगा, उसकी जिंदगी भी इन्हीं की तरह मुरझा जाएगी।”
रमेश और सविता ने डर से कांपते हुए कहा, “हम इस हवेली को छोड़ देंगे। कृपया हमें माफ कर दें।” परछाई ने कड़वे स्वर में कहा, “माफी? नहीं, तुम्हें इसकी कीमत चुकानी होगी।”
इतना कहकर वह परछाई हवा में गायब हो गई। अगले दिन, रमेश और सविता ने तुरंत ही हवेली छोड़ दी और गांव के लोगों को यह सब बताया। किसी ने उनकी बात पर विश्वास नहीं किया, लेकिन गांव के कुछ बुजुर्गों ने बताया कि यह घटना वास्तव में सत्य हो सकती है।
कहानी का ख़ौफ़
उस दिन के बाद से, कोई भी उस हवेली के पास नहीं गया। गुलाबों का वह बाग अब भी वही है, लेकिन उसकी ओर देखने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पाता। हवेली आज भी वीरान पड़ी है, और कहा जाता है कि रात होते ही वहां गुलाब के गुलदस्ते में से खून की बूंदें टपकने लगती हैं।
इस कहानी ने गांव वालों के दिलों में उस हवेली के प्रति गहरा डर पैदा कर दिया। हवेली आज भी वहां खड़ी है, लेकिन अब वहां कोई नहीं जाता, न दिन में और न रात में। गुलाब का गुलदस्ता, जिसने इस सबकी शुरुआत की, अब भी हवेली के पुराने कमरे में रखा है, इंतजार करता हुआ कि कोई और उसकी गलती दोहराए और अपने जीवन की कीमत चुकाए।
गुलाब का गुलदस्ता कहानी का निष्कर्ष
The haunting revelations within the mansion led Ramesh and Savita to flee in terror, abandoning the house and its cursed rose garden forever.
Despite their warnings, the villagers dismissed their tale as mere superstition, yet none dared to approach the mansion again. Over time, the once vibrant roses continued to bloom, untouched and undisturbed. It was a grim reminder of the tragedy that had taken place.
The mansion now stands as a silent sentinel, its dark secrets sealed within, while the blood-stained bouquet waits, a foreboding symbol of a curse that still lingers, ready to claim its next victim. Asha karte hai aap ko ye horror kahani in hindi – bhutiya kahani acchi lagi ho. Krupaya hamara youtube channel bhi subscribe kare.
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